हर इंसान की बोलने की अपना एक खास अंदाज होता है, जो अन्य किसी से मेल नहीं खाता। समुद्र शास्त्र व शरीर लक्षण विज्ञान के अंतर्गत मनुष्यों के बोलने के तरीके पर भी गहन शोध किया गया है जिसके आधार पर प्रत्येक मनुष्य का स्वभाव भी स्पष्ट होता है।
- ऊंचे स्वर में बोलने वाले लोगों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करना चाहते हैं या वे अपने अधूरे ज्ञान को दूसरों पर थोपना चाहते हैं। ऐसे लोग किसी दूसरे की बात सुनना पसंद नहीं करते।
- कुछ लोग इतनी तेजी से बोलते हैं कि किसी को पता भी नहीं चलता कि वे क्या बोलना चाहते हैं। ऐसे जातक में न तो किसी बात को सीमित रखने का माद्दा है और न ही उसमें किसी बात को स्पष्ट कहने का साहस है। ऐसे जातक धोखेबाज होते हैं।- कुछ लोग जब बोलते हैं तो उनकी आवाज में कर्कशता एवं टूटापन होता है। ऐसे जातक क्लेशप्रिय, दु:खी एवं लक्ष्यहीन होते हैं।
- कई लोगों की आवाज बहुत ही तेज होती है। ऐसे लोग यम, नियम, एवं संयमयुक्त, विद्वान, ज्ञानी एवं अध्ययन, मनन तथा चिंतनप्रिय, गंभीर, सौम्य एवं धैर्यवान व उदार चरित्र के होते हैं। इसके विपरीत निम्न स्वर, हकलाकर, असंतुलित व हकला कर बोलने वाले लोग अविकसित बुद्धि, अज्ञान, संकुचित प्रवृत्ति, धूर्त, कामचोर व असफल होते हैं।
- गंभीर एवं संतुलित आवाज में बोलने वाले लोग अनुशासनप्रिय होते हैं।
- महिला की आवाज यदि सामान्य से अधिक ऊंची है तो वह अहंकारी व अनुशासनप्रिय होती है। उसमें नेतृत्व की क्षमता होती है।
- सामान्य से कम स्वर वाली स्त्री में असत्य, निंदा, भ्रम, कलह, आत्मप्रशंसा आदि दुर्गुण होते हैं।
- हंस, मयूर या कोयल के समान वाणी वाली स्त्री को सर्वगुणसंपन्न माना गया है।
- ऊंचे स्वर में बोलने वाले लोगों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करना चाहते हैं या वे अपने अधूरे ज्ञान को दूसरों पर थोपना चाहते हैं। ऐसे लोग किसी दूसरे की बात सुनना पसंद नहीं करते।
- कुछ लोग इतनी तेजी से बोलते हैं कि किसी को पता भी नहीं चलता कि वे क्या बोलना चाहते हैं। ऐसे जातक में न तो किसी बात को सीमित रखने का माद्दा है और न ही उसमें किसी बात को स्पष्ट कहने का साहस है। ऐसे जातक धोखेबाज होते हैं।- कुछ लोग जब बोलते हैं तो उनकी आवाज में कर्कशता एवं टूटापन होता है। ऐसे जातक क्लेशप्रिय, दु:खी एवं लक्ष्यहीन होते हैं।
- कई लोगों की आवाज बहुत ही तेज होती है। ऐसे लोग यम, नियम, एवं संयमयुक्त, विद्वान, ज्ञानी एवं अध्ययन, मनन तथा चिंतनप्रिय, गंभीर, सौम्य एवं धैर्यवान व उदार चरित्र के होते हैं। इसके विपरीत निम्न स्वर, हकलाकर, असंतुलित व हकला कर बोलने वाले लोग अविकसित बुद्धि, अज्ञान, संकुचित प्रवृत्ति, धूर्त, कामचोर व असफल होते हैं।
- गंभीर एवं संतुलित आवाज में बोलने वाले लोग अनुशासनप्रिय होते हैं।
- महिला की आवाज यदि सामान्य से अधिक ऊंची है तो वह अहंकारी व अनुशासनप्रिय होती है। उसमें नेतृत्व की क्षमता होती है।
- सामान्य से कम स्वर वाली स्त्री में असत्य, निंदा, भ्रम, कलह, आत्मप्रशंसा आदि दुर्गुण होते हैं।
- हंस, मयूर या कोयल के समान वाणी वाली स्त्री को सर्वगुणसंपन्न माना गया है।
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