नई दिल्ली. भारत के पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार ब्रजेश मिश्रा ने कहा है कि अगर पाकिस्तान भारत के खिलाफ परमाणु बम का इस्तेमाल करता है तो दुनिया के नक्शे से पाकिस्तान का नाम मिट जाएगा। अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार के दौरान सुरक्षा से जुड़ा बेहद अहम ओहदा संभालने वाले ब्रजेश मिश्रा का कहना है कि परमाणु हथियार और भारत से जुड़े मामलों पर नीति बनाने वाली पाकिस्तानी सेना कभी नहीं चाहती है कि भारत और पाकिस्तान के बीच कभी अच्छे संबंध हों।
पाकिस्तान-चीन के संबंध पर ब्रजेश मिश्रा ने कहा कि पाकिस्तान और चीन रणनीतिक साझेदार हैं। कश्मीर को लेकर चीन की नीति में बदलाव आ रहा है। भारत को अगले दो-तीन सालों में इन दोनों मोर्चों पर सावधान रहना होगा। एक तरफ चीन भारत की तरह पहले ऐटमी हथियार का प्रयोग नहीं करेगा। लेकिन यही बात पाकिस्तान के लिए नहीं कही जा सकती है।
दूसरी ओर, हाल ही में अमेरिका के गोपनीय दस्तावेजों में यह खुलासा हुआ था कि देश में जनता पार्टी के शासनकाल के दौरान 1979 में तत्कालीन प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई ने अमेरिका को साफ कह दिया था कि यदि पाकिस्तान परमाणु विस्फोट करेगा, तो भारत उसे कुचल कर रख देगा। उन्होंने पाकिस्तान के साथ परमाणु हथियार के इस्तेमाल न करने और विकास को रोकने के संबंध में कोई औपचारिक समझौता करने से इंकार कर दिया था।
अमेरिका के गोपनीय दस्तावेजों के अनुसार देसाई की अमेरिका के भारत में तत्कालीन राजदूत रॉबर्ट एफ. गोहीन से जून 1979 में मुलाकात हुई थी। यह बैठक 55 मिनट चली। यह बैठक गोहीन के आग्रह पर हुई थी, जिन्हें बैठक आयोजित करने के लिए अमेरिका की राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद ने निर्देश दिए थे। गोहीन ने देसाई से बातचीत के दौरान कहा कि अमेरिका, पाकिस्तान के परमाणु हथियार बनाने और इस्तेमाल करने के खतरे को रोकने के लिए भारत के साथ मिलकर काम करना चाहता है। उन्होंने देसाई को सुझाव दिया कि भारत पाकिस्तान के साथ परमाणु हथियार के पहले इस्तेमाल न करने और इनके विकास पर रोक लगाने संबंधी समझौते पर हस्ताक्षर करे।
लेकिन देसाई इसके लिए राजी नहीं हुए। उन्होंने कहा कि भारत पहले परमाणु हमला न करने के लिए प्रतिबद्ध है और भारत इसे सार्वजनिक भी कर चुका है। यदि पाकिस्तान भी ऐसा ही कोई निर्णय लेता है तो समझौते की जरूरत ही नहीं रहेगी। हालांकि गोहीन ने देसाई पर इस मुद्दे पर दबाव भी डाला और कहा कि औपचारिक समझौता ज्यादा प्रभावी रहेगा, लेकिन देसाई ने इसे पूरी तरह नकार दिया।
बातचीत के दौरान अमेरिका के तत्कालीन राजदूत ने देसाई से पूछा कि यदि पाकिस्तान परमाणु हथियार का परीक्षण करता है या विस्फोट करता है तो भारत की प्रतिक्रिया क्या रहेगी, 'देसाई ने कहा-हम पाकिस्तान को मिटा देंगे।'
देसाई ने गोहीन को उनकी पाकिस्तान के विदेश सचिव शाहनवाज खान से बातचीत का भी ब्योरा दिया। देसाई ने बताया कि उन्होंने शाहनवाज खान को साफ कर दिया है कि भारत पाकिस्तान के प्रति मैत्रीपूर्ण भावना से काम कर रहा है और पाकिस्तान को भी यही करना चाहिए। लेकिन यदि पाकिस्तान ने कोई चाल चली तो हम उन्हें मिटा देंगे। देसाई ने शाहनवाज खान को 1965 और 1971 के युद्ध की याद भी दिलाई, जब पाकिस्तान को भारत को उकसाने की बड़ी कीमत चुकानी पड़ी थी।
गोहीन के अनुसार उन्होंने देसाई को कहा कि सरकारें बदलती रहती हैं और लिखित समझौता ज्यादा प्रभावी होगा, लेकिन देसाई ने इसे हंस कर टाल दिया और कहा कि इस मामले में ऐसा नहीं है। दूसरे दस्तावेजों के अनुसार अमेरिका में 29 जून 1979 को एक गोपनीय बैठक हुई, जिसमें तत्कालीन सीआईए के डिप्टी डायरेक्टर फ्रैंक कार्लूकी ने आशंका जताई कि भारत पाकिस्तान को परमाणु शक्ति संपन्न देश बनने से रोकने के लिए फौज का इस्तेमाल भी कर सकता है।