सिर दर्द एक आम समस्या है, अधिकांश लोगों को इससे जुझना पड़ता है। सामान्यत: ऐसा माना जाता है कि यह बीमारी शारीरिक अस्वस्थता की वजह से होती है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार ग्रह दोष की वजह से भी सिर दर्द सताता है।
सिर दर्द की बीमारी कई लोगों को जन्म से ही होता है। अधिकतर लोगों का आधासीसी की बीमारी भी होती है। आधासीसी की बीमारी में सुबह चार बजे से सिर दर्द शुरु होता है वह भी आधे सिर में जो शाम चार बजे तक रहता है।
कई लोगों को आंखों की कमजोरी की वजह से सिर दर्द होता है। आंखों का सिरदर्द से बड़ा संबंध है। बचपन में जो लोग सूर्य की ओर देखते हैं, वह आधासीसी रोग से पीडि़त होते हैं। सूर्य को देखने आंखों की रेटिना कमजोर हो जाती है। जिसकी वजह से अंधेपन तक का खतरा रहता है तथा सिरदर्द की बीमारी के प्रथम लक्षण होते है।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार भी सूर्य को नेत्र कमजोर होने का कारण माना गया है। सूर्य यदि लग्र में द्वितीय या द्वादश भाव में स्थित हो तो व्यक्ति की आंखें कमजोर होती हैं तथा वह सिरदर्द की बीमारी की वजह बनती है। लग्र अथवा प्रथम भाव में सूर्य नीच का तुला राशि में शत्रु राशि में स्थित हो तो सिरदर्द का कष्ट होता है। एकादश भाव में सूर्य उच्च का या द्वादश, लग्र, द्वितीय भाव में उच्च का हो तो ज्यादा मानसिक तनाव से व्यक्ति सिरदर्द का शिकार होता है।
कैसे बचे सिरदर्द से?
- आदित्यहृदय स्तोत्र का पाठ करें।
- प्रात: सूर्य नमस्कार कर गायत्री मंत्र का जाप करें।
- प्रात: शाम जलनेती करें।
- सूर्य को न देखें।
- शनिवार को पीपल का पूजन करें।
- सूर्य को अर्ध्य देते समय अपनी दाहिनी एड़ी ऊपर रखें।
सिर दर्द की बीमारी कई लोगों को जन्म से ही होता है। अधिकतर लोगों का आधासीसी की बीमारी भी होती है। आधासीसी की बीमारी में सुबह चार बजे से सिर दर्द शुरु होता है वह भी आधे सिर में जो शाम चार बजे तक रहता है।
कई लोगों को आंखों की कमजोरी की वजह से सिर दर्द होता है। आंखों का सिरदर्द से बड़ा संबंध है। बचपन में जो लोग सूर्य की ओर देखते हैं, वह आधासीसी रोग से पीडि़त होते हैं। सूर्य को देखने आंखों की रेटिना कमजोर हो जाती है। जिसकी वजह से अंधेपन तक का खतरा रहता है तथा सिरदर्द की बीमारी के प्रथम लक्षण होते है।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार भी सूर्य को नेत्र कमजोर होने का कारण माना गया है। सूर्य यदि लग्र में द्वितीय या द्वादश भाव में स्थित हो तो व्यक्ति की आंखें कमजोर होती हैं तथा वह सिरदर्द की बीमारी की वजह बनती है। लग्र अथवा प्रथम भाव में सूर्य नीच का तुला राशि में शत्रु राशि में स्थित हो तो सिरदर्द का कष्ट होता है। एकादश भाव में सूर्य उच्च का या द्वादश, लग्र, द्वितीय भाव में उच्च का हो तो ज्यादा मानसिक तनाव से व्यक्ति सिरदर्द का शिकार होता है।
कैसे बचे सिरदर्द से?
- आदित्यहृदय स्तोत्र का पाठ करें।
- प्रात: सूर्य नमस्कार कर गायत्री मंत्र का जाप करें।
- प्रात: शाम जलनेती करें।
- सूर्य को न देखें।
- शनिवार को पीपल का पूजन करें।
- सूर्य को अर्ध्य देते समय अपनी दाहिनी एड़ी ऊपर रखें।
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