लंदन. उम्र के असर से खुद को उबारने में महिलाओं का शरीर मर्दों के मुकाबले ज्यादा ताकतवर होता है। यही वजह है कि महिलाओं का जीवन पुरुषों की तुलना में लंबा होता है। वे शरीर में होने वाली जैविक टूट-फूट को बेहतर ढंग से ठीक कर लेती हैं।
मर्र्दो के लिए यह चौंका देने वाली जानकारी हो सकती है। लेकिन ‘साइंटिफिक अमेरिकन’ जर्नल में प्रकाशित शोध-पत्र से साबित होता है कि जैविक रूप से महिलाओं के मुकाबले मर्र्दो पर उम्र का असर ज्यादा पड़ता है। न्यूकैसल यूनिवर्सिटी के टॉम किर्कवुड ने पाया कि उम्र का असर जीन के हिसाब से तय होता है। वे शरीर की कोशिकाओं में होने वाली टूट-फूट की मरम्मत करती हैं।
पहले से तय नहीं होता बुढ़ापा: किर्कवुड की थ्योरी के मुताबिक बुढ़ापा पहले से तय नहीं होता है। यह उन जीनों से तय होता है, जिनके जिम्मे शरीर को दुरुस्त रखना होता है। इन जीनों को बेहतर भी बनाया जा सकता है।
कम हो रहा उम्र का फर्क
मर्र्दो और महिलाओं की औसत उम्र का फर्क अब 4.2 साल रह गया है। यह 27 वर्ष पहले छह साल था। आज जन्मे लड़के की औसत उम्र 77.7 साल है, जबकि लड़की की 81.9 साल है।
इसके पीछे तर्क दिया जाता रहा है कि मर्र्दो में दिल की बीमारी ज्यादा होती है, जबकि महिलाओं में ओस्ट्रोजन उन्हें दिल की बीमारी से बचाता है। यह तर्क भी किर्कवुड की थ्योरी को मजबूती देता है। वे कहते हैं कि टूट-फूट रोकने वाली जीन ही उम्र तय करती हैं।
मर्र्दो के लिए यह चौंका देने वाली जानकारी हो सकती है। लेकिन ‘साइंटिफिक अमेरिकन’ जर्नल में प्रकाशित शोध-पत्र से साबित होता है कि जैविक रूप से महिलाओं के मुकाबले मर्र्दो पर उम्र का असर ज्यादा पड़ता है। न्यूकैसल यूनिवर्सिटी के टॉम किर्कवुड ने पाया कि उम्र का असर जीन के हिसाब से तय होता है। वे शरीर की कोशिकाओं में होने वाली टूट-फूट की मरम्मत करती हैं।
पहले से तय नहीं होता बुढ़ापा: किर्कवुड की थ्योरी के मुताबिक बुढ़ापा पहले से तय नहीं होता है। यह उन जीनों से तय होता है, जिनके जिम्मे शरीर को दुरुस्त रखना होता है। इन जीनों को बेहतर भी बनाया जा सकता है।
कम हो रहा उम्र का फर्क
मर्र्दो और महिलाओं की औसत उम्र का फर्क अब 4.2 साल रह गया है। यह 27 वर्ष पहले छह साल था। आज जन्मे लड़के की औसत उम्र 77.7 साल है, जबकि लड़की की 81.9 साल है।
इसके पीछे तर्क दिया जाता रहा है कि मर्र्दो में दिल की बीमारी ज्यादा होती है, जबकि महिलाओं में ओस्ट्रोजन उन्हें दिल की बीमारी से बचाता है। यह तर्क भी किर्कवुड की थ्योरी को मजबूती देता है। वे कहते हैं कि टूट-फूट रोकने वाली जीन ही उम्र तय करती हैं।
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