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Sunday, October 18, 2020

कुंजिकास्तोत्रं ( कुंजिका स्त्रोत )







शृणु देवि प्रवक्ष्यामि कुंजिकास्तोत्रमुत्तमम्।

येन मन्त्रप्रभावेण चण्डीजापः शुभो भवेत् ।।१।।

न कवचं नार्गलास्तोत्रं कीलकं न रहस्यकम्।
न सूक्तं नापि ध्यानं च न न्यासो न च वार्चनम् ।।२।।

कुञ्जिकापाठमात्रेण दुर्गापाठफलं लभेत्।
अति गुह्यतरं देवि देवानामपि दुर्लभम् ।।३।।

गोपनीयं प्रयत्नेन स्वयोनिरिव पार्वति।
मारणं मोहनं वश्यं स्तंभोच्चाटनादिकम।
पाठमात्रेण संसिध्येत् कुंजिकास्तोत्रमुत्तमम् ।।४।।

अथ मंत्रः ,

ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे। ॐ ग्लौं हुं क्लीं जूं सः
ज्वालय ज्वालय ज्वल ज्वल प्रज्वल प्रज्वल
ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे ज्वल हं सं लं क्षं फट् स्वाहा ।।

 
इति मंत्रः ।

नमस्ते रुद्ररूपिण्यै नमस्ते मधुमर्दिनि।
नमः कैटभहारिण्यै नमस्ते महिषार्दिनि ।।१।।

नमस्ते शुम्भहन्त्र्यै च निशुम्भासुरघातिनि ।
जाग्रतं हि महादेवि जपं सिद्धं कुरुष्व मे।।२।।

ऐंकारी सृष्टिरुपायै ह्रींकारी प्रतिपालिका ।
क्लींकारी कामरूपिण्यै बीजरूपे नमोस्तु ते।।३।।

चामुण्डा चण्डघाती च यैकारी वरदायिनी ।
विच्चे चाभयदा नित्यं नमस्ते मन्त्ररूपिणि ।।४।।

धां धीं धूं धूर्जटेः पत्नी वां वीं वूं वागधीश्वरी।
क्रां क्रीं क्रूं कालिका देवि शां शीं शूं मे शुभं कुरु ।।५।।

हुं हुं हुंकाररूपिण्यै जं जं जं जम्भनादिनी।
भ्रां भ्रीं भ्रूं भैरवी भद्रे भवान्यै ते नमो नमः ।।६।।

अं कं चं टं तं पं यं शं वीं दुं ऐं वीं हं क्षं
धिजाग्रं धिजाग्रं त्रोटय त्रोटय दीप्तं कुरु कुरु स्वाहा।।७।।

पां पीं पूं पार्वती पूर्णा खां खीं खूं खेचरी तथा ।
सां सीं सूं सप्तशती देव्या मंत्रसिद्धिं कुरुष्व मे।।८।।

इदं तु कुंजिकास्तोत्रं मंत्रजागर्तिहेतवे।
अभक्ते नैव दातव्यं गोपितं रक्ष पार्वति ।।

यस्तु कुंजिकया देवि हीनां सप्तशतीं पठेत्।
न तस्य जायते सिद्धिररण्ये रोदनं यथा ।।


।। ॐ तत्सत्।।

 

 नवरात्रि मे कुंजिका स्त्रोत का जाप अत्यंत ही सिद्धिदायक माना गया है ,मात्र कुंजिका स्त्रोत के जाप से ही दुर्गा पाठ का फल प्राप्त हो जाता है। जो लोग नवरात्री में सम्पूर्ण दुर्गा सप्तसती का पाठ नहीं कर पाते हैं वो सिर्फ कुंजिका स्त्रोत का जप कर सकते हैं इसमें न कोई विधि न कोई नियम है सिर्फ भक्ति भाव पूर्वक पाठ करे इसका प्रभाव अनुभव होगा। 

नवरात्री के आलावा किसी भी शुभ समय में संकल्प लेकर कुंजिका स्त्रोत का जाप प्रारम्भ किया जा सकता है। 

 

 


Monday, October 12, 2020

Tips for OTP free Transaction through SBI ATM







Now a days in India there is rules by SBI from Sept 18, 2020 that if any SBI Customer will withdraw ten thousand or above through SBI ATM then it will ask for OTP which will only receive in your registered mobile number, This feature is enable for the security purpose, it prevent from unauthorized withdrawals, card cloning etc.

OTP based withdrawals only available at SBI ATM.

SBI customer should  prefer the SBI ATM for cash withdrawal due to more security features.

SBI ATM Cards have the EMV based transaction means transaction through ATM Card CHIP.

But what if you don't have the number with you or you left the phone at your home. 

So😎 ,what you can do in this scenario.

1. Withdraw rupees 9500 , 9900 (if 100 rs deno. available) or 9800 (if 200 rs deno. available), it will not ask for OTP.

2.  You can withdraw from any other ATM except SBI ATM, other ATM will not ask for OTP.

3.   You can use the YONO app of SBI for cardless cash withdrawal, it will also help if you forget to take your card at ATM


(How to use YONO, Please check my next post, i will explain in details with video)

 


Sunday, October 11, 2020

रवि पुष्य योग || Sunday 11 , 2020

रवि पुष्य योग ,जब रविवार के दिन पुष्य नक्षत्र होता है तो ऐसे में रवि पुष्य योग होता है |

इस योग में शुभ कार्य संपन्न किया जा सकता है जैसे,

वाहन क्रय 

आभूषण क्रय  

मंत्रो की सिद्धि 

माणिक्य धारण 

यंत्रो की सिद्धि 


इस दिन सुबह उठकर अरुणोदय काल में स्नान आदि पवित्र होकर ताम्बे के बर्तन में जल लेकर उसमे शहद या गुड़ डालकर सूर्य को अर्ध्य दे उसके बाद आदित्य ह्रदय स्त्रोत का जाप करे इससे कुंडली में सूर्य का प्रभाव अनुकूल होता है। 


इस दिन आक की जड़ धारण कर सकते हैं ,एक दिन पहले संध्या में इस पेड़ को आमंत्रण दे आये अगले दिन सुबह में उसका जड़ ले कर आये फिर उसका पंचोपचार पूजन कर के बाजु में धारण करें इससे समाज में प्रतिष्ठा बढ़ेगी और सूर्य का अनुकूल प्रभाव होगा ।


प्रकृति ने दी है चेतावनी

जिस तरह से दुनिया में कोरोना ने आतंक मचाया उससे पुरे दुनिया को प्रकृति की ओर से एक चेतावनी कहा जाये तो बिलकुल सही होगा मानव जाति ने जिस तरह से इस प्रकृति का दूरउपयोग किया है उससे आने वाले समय में प्रलय आ जाये इसमें कोई शक की गुंजाईश नहीं है , लेकिन मानव जाति महत्वपूर्ण और शक्तिशाली बनने की होड़ में विनाश की ओर बढे चले जा रही है, 

सुनो !!

ऐ जिव जो मानव प्रजाति है तुम्हारी,
ना ये जहाँ तुम्हारा न ये धरती सिर्फ तुम्हारी । 

तुम्हे घमंड है किस बात का, 
जबकि हिस्से में है सिर्फ दो ग़ज्ज जमीं तुम्हारी। 

अनंत फैले इस ब्रह्माण्ड में ,
धूल के कण सा है अस्तित्व तुम्हारा। 

खुद को इस संसार का भगवान कहना ,
क्या ये नासमझी नहीं है तुम्हारा । 

अपने स्वार्थ में डूबकर, खुद को सीमाओं में घेरकर ,
कहते हो देश महान है तुम्हारा । 

ये जमी है हर जिव का न की सिर्फ तुम्हारी,

संभल जाओ वक़्त रहते, प्रकृति ने दी है चेतावनी ,
वार्ना न तुम बच पाओगे न ये दिखावे की इन्शानियत तुम्हारी।