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Monday, January 31, 2011

पाकिस्तान ने ऐटम बम फेंका तो भारत मिटा देगा वजूद'


नई दिल्ली. भारत के पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार ब्रजेश मिश्रा ने कहा है कि अगर पाकिस्तान भारत के खिलाफ परमाणु बम का इस्तेमाल करता है तो दुनिया के नक्शे से पाकिस्तान का नाम मिट जाएगा। अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार के दौरान सुरक्षा से जुड़ा बेहद अहम ओहदा संभालने वाले ब्रजेश मिश्रा का कहना है कि परमाणु हथियार और भारत से जुड़े मामलों पर नीति बनाने वाली पाकिस्तानी सेना कभी नहीं चाहती है कि भारत और पाकिस्तान के बीच कभी अच्छे संबंध हों।

पाकिस्तान-चीन के संबंध पर ब्रजेश मिश्रा ने कहा कि पाकिस्तान और चीन रणनीतिक साझेदार हैं। कश्मीर को लेकर चीन की नीति में बदलाव आ रहा है। भारत को अगले दो-तीन सालों में इन दोनों मोर्चों पर सावधान रहना होगा। एक तरफ चीन भारत की तरह पहले ऐटमी हथियार का प्रयोग नहीं करेगा। लेकिन यही बात पाकिस्तान के लिए नहीं कही जा सकती है। 

दूसरी ओर, हाल ही में अमेरिका के गोपनीय दस्तावेजों में यह खुलासा हुआ था कि देश में जनता पार्टी के शासनकाल के दौरान 1979 में तत्कालीन प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई ने अमेरिका को साफ कह दिया था कि यदि पाकिस्तान परमाणु विस्फोट करेगा, तो भारत उसे कुचल कर रख देगा। उन्होंने पाकिस्तान के साथ परमाणु हथियार के इस्तेमाल न करने और विकास को रोकने के संबंध में कोई औपचारिक समझौता करने से इंकार कर दिया था।

अमेरिका के गोपनीय दस्तावेजों के अनुसार देसाई की अमेरिका के भारत में तत्कालीन राजदूत रॉबर्ट एफ. गोहीन से जून 1979 में मुलाकात हुई थी। यह बैठक 55 मिनट चली। यह बैठक गोहीन के आग्रह पर हुई थी, जिन्हें बैठक आयोजित करने के लिए अमेरिका की राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद ने निर्देश दिए थे। गोहीन ने देसाई से बातचीत के दौरान कहा कि अमेरिका, पाकिस्तान के परमाणु हथियार बनाने और इस्तेमाल करने के खतरे को रोकने के लिए भारत के साथ मिलकर काम करना चाहता है। उन्होंने देसाई को सुझाव दिया कि भारत पाकिस्तान के साथ परमाणु हथियार के पहले इस्तेमाल न करने और इनके विकास पर रोक लगाने संबंधी समझौते पर हस्ताक्षर करे।

लेकिन देसाई इसके लिए राजी नहीं हुए। उन्होंने कहा कि भारत पहले परमाणु हमला न करने के लिए प्रतिबद्ध है और भारत इसे सार्वजनिक भी कर चुका है। यदि पाकिस्तान भी ऐसा ही कोई निर्णय लेता है तो समझौते की जरूरत ही नहीं रहेगी। हालांकि गोहीन ने देसाई पर इस मुद्दे पर दबाव भी डाला और कहा कि औपचारिक समझौता ज्यादा प्रभावी रहेगा, लेकिन देसाई ने इसे पूरी तरह नकार दिया।  

बातचीत के दौरान अमेरिका के तत्कालीन राजदूत ने देसाई से पूछा कि यदि पाकिस्तान परमाणु हथियार का परीक्षण करता है या विस्फोट करता है तो भारत की प्रतिक्रिया क्या रहेगी, 'देसाई ने कहा-हम पाकिस्तान को मिटा देंगे।'

देसाई ने गोहीन को उनकी पाकिस्तान के विदेश सचिव शाहनवाज खान से बातचीत का भी ब्योरा दिया। देसाई ने बताया कि उन्होंने शाहनवाज खान को साफ कर दिया है कि भारत पाकिस्तान के प्रति मैत्रीपूर्ण भावना से काम कर रहा है और पाकिस्तान को भी यही करना चाहिए। लेकिन यदि पाकिस्तान ने कोई चाल चली तो हम उन्हें मिटा देंगे। देसाई ने शाहनवाज खान को 1965 और 1971 के युद्ध की याद भी दिलाई, जब पाकिस्तान को भारत को उकसाने की बड़ी कीमत चुकानी पड़ी थी। 

गोहीन के अनुसार उन्होंने देसाई को कहा कि सरकारें बदलती रहती हैं और लिखित समझौता ज्यादा प्रभावी होगा, लेकिन देसाई ने इसे हंस कर टाल दिया और कहा कि इस मामले में ऐसा नहीं है। दूसरे दस्तावेजों के अनुसार अमेरिका में 29 जून 1979 को एक गोपनीय बैठक हुई, जिसमें तत्कालीन सीआईए के डिप्टी डायरेक्टर फ्रैंक कार्लूकी ने आशंका जताई कि भारत पाकिस्तान को परमाणु शक्ति संपन्‍न देश बनने से रोकने के लिए फौज का इस्तेमाल भी कर सकता है।

70 हजार मील लंबाई तक फैल सकती है मानव शरीर की रक्त धमनियां।



70 हजार मील लंबाई तक फैल सकती है मानव शरीर की रक्त धमनियां।

एक घोंघा लगातार तीन साल तक सो सकता है।



 
 
एक घोंघा लगातार तीन साल तक सो सकता है।

आखिर क्या हैं इन 'तिलिस्मी' मूर्तियों का 'रहस्य'



 
 
मिस्र में नाइल नदी के किनारे ये दो मूर्तियां बनी हुई हैं। स्थानीय लोग इन्हें क्लॉसी ऑफ मैमनॉन कहते हैं। फिर भी समझा ये जाता है कि इनका मैमनॉन्स से कोई वास्ता नहीं है। पत्थर की ये विशाल मूर्तियां 3400 साल से ज्यादा पुरानी हैं। आज के लक्झर शहर में ये स्थित हैं। फैरा एमनहोटैप तृतीय की ये मूर्तियां हैं। घुटने पर हाथ रखकर बैठे इस फैरो के पास उसकी मां और पत्नी की छोटी मूर्तियां भी हैं।

प्राचीन मिस्र के सबसे बड़े मंदिर के सामने ये मूर्तियां बनवाई गई थीं। आज यहां पर सिर्फ ये दो मूर्तियां ही रह गई हैं। मंदिर के अवशेष भी बाकी नहीं रह गए हैं। इसके खत्म होने के भी कई कारण बताए जाते हैं। कुछ लोगों को लगता है कि नाइल नदी में बाढ़ आने से मंदिर खत्म हो गया होगा। करीब 13 फीट के प्लेटफॉर्म पर 60 फीट ऊंची ये मूर्तियां बनी हैं। दोनों के बीच 50 फीट की दूरी है। प्रत्येक का वजन 700 टन होगा।

जिस पत्थर से ये बनी हैं, वो भी यहां नहीं पाया जाता। ऐसा पत्थर यहां से 675 किमी दूर काइरो में मिलता है। फिर उस दौर में ये लोग इतने भारी पत्थर कैसे यहां लाए होंगे, ये भी एक पहेली बना हुआ है। अगर नाइल के रास्ते इसे लाए तो भी कितनी बड़ी नाव बनानी पड़ी होगी। रिसर्च के बाद भी इन सवालों के जवाब तलाशे जाने बाकी हैं।

राज है गहरा

मिस्र के लक्झर शहर में नाइल नदी के किनारे खड़ी पत्थर की ये दो मूर्तियां किस तरह बनाई गई होंगी ये आज भी रहस्य है।

Friday, January 28, 2011

अजूबा बना दूसरी दुनिया का यह तिलिस्मी पत्थर!


1872 में ब्रिटेन के न्यू हैंपशायर की विनिपीसाउकी झील में खुदाई के दौरान एक काले रंग का अंडाकार पत्थर मिला था। 4 इंच बाय 2.5 इंच के पत्थर को तराशकर बहुत से निशान भी इस पर बनाए गए हैं। काफी रिसर्च के बाद भी पता नहीं चलता कि इस पत्थर की उम्र कितनी है, इसे किसलिए बनाया गया और क्या ये इस दुनिया का है या फिर कहीं और से आया है।

न्यू हैंपशायर के बिजनेसमैन सेनेका लैड मजदूरों से यहां खुदाई करवा रहे थे। उन्हें ये पत्थर मिला था। 1892 में तक ये उनके पास रहा, फिर उनकी मौत के बाद उनकी बेटी ने इसे संभाला। 1927 में उनकी बेटी ने न्यू हैंपशायर हिस्टोरिकल सोसायटी को इसे दान कर दिया।

तभी से ये वहां म्यूजियम में प्रदर्शित है। इस पत्थर पर एक चेहरा, चंद्रमा, तीर, बहुत से बिंदु और कई तरह के निशान बने हैं। इसमें दोनों तरफ से आरपार छेद किए गए हैं। ये छेद भी अलग-अलग साइज के बिट्स से किए गए हैं।

ऊपर से नीचे छेद करने वाली ड्रिल बिट का साइज 1/8 इंच है। नीचे से ऊपर वाली का साइज 3/8 इंच है। वैज्ञानिकों के अनुसार इस तरह के छेद करने की तकनीक 19वीं सदी के पॉवर टूल्स से संभव हुई है। फिर इतिहासपूर्व के इस पत्थर में ये छेद कैसे किए गए। 1872 में अमेरिकन नेचरलिस्ट ने कहा था ये दो आदिवासियों के बीच समझौते का प्रतीक है।

राज़ है गहरा

न्यू हैंपशायर में मिला पाषणयुग का ये पत्थर कहां से आया था। इस पर बने निशानों का क्या मतलब है और इसे क्यों बनाया गया। इतिहासपूर्व में बिना साधनों के इसमें इतने बारीक छेद कैसे किए गए ये आज भी राज़ है।

Thursday, January 27, 2011

6 करोड़ बार देखे जाने के बाद भी अविश्वस्नीय है यह वीडियो


यूट्यूब पर मोस्ट पॉपुलर वीडियो सर्च करने पर बैटल एट क्रुगर नाम से एक वीडियो डिस्पले होता है। मई 2007 में पोस्ट हुए इस वीडियो को अब तक लगभग 6 करोड़ बार देखा जा चुका है लेकिन फिर भी यह वीडियो अविश्वसनीय सा लगता है।
जंगल के कानून को दर्शाता यह वीडियो सितंबर 2004 में शूट किया गया था। आठ मिनट के इस वीडियो में दक्षिण अफ्रीका के क्रुगर नेशनल पार्क में कैप बफैलो (अफ्रीकी भैंसों), शेरों के एक झुंड और एक या दो मगरमच्छों के बीच की झड़प दिखती है। यह वीडियो गाइड फ्रैंक वॉट्स द्वारा गाइड की गई एक सफारी के दौरान शूट किया गया था। इसे वीडियोग्राफर डेविड बुडजिंस्की और फोटोग्राफर जेसन स्कोलबर्ग ने शूट किया था।
डिजीटल कैम रिकार्डर द्वारा शूट किए गए इस वीडियो में एक भैंसों के झुंड पानी की ओर बढ़ता हुआ दिखाई देता है जिस पर हमला करने के लिए शेर घात लगाए बैठे हैं। शेरों को देखकर भैंसों भाग जाते हैं लेकिन एक बच्चा शेरों के शिकंजे में फंस जाता है। इस बच्चे का शिकार करने की मशक्कत में शेर इसे लेकर पानी में गिर जाते हैं जहां एक या दो मगरमच्छ शेरों से इस बच्चे को छीनने की कोशिश करते हैं।
सभी शेर मिलकर बच्चे को मगरमच्छों के मुंह से निकाल लेते हैं। इससे पहले की वो इस बच्चे को अपना भोजन बनाते भैंसों का झुंड दोबारा इकट्ठा होकर शेरों पर हमला करता है। कई मिनट तक शेरों के जबड़ों में रहने के बाद भी भैंस का बच्चा जिंदा बच जाता है और भैंसों का समूह अंत में शेरों को खदेड़ कर इस बच्चे की जान बचा लेता है।
इस वीडियो को देखकर इस पर आसानी से यकीन नहीं होता। लेकिन यह वीडियो है एकदम असली। भैंस का बच्चा पहले शेरों के चंगुल से छूटकर पानी में गिरता है जहां मगरमच्छ उस पर हमला बोल देते हैं। शेर उसे मगरमच्छ के मुंह से निकालते हैं लेकिन भैंसें वापस आकर उसे छुड़ा ले जाते हैं।
यूट्यूब पर आते ही यह वीडियो बेहद लोकप्रिय हो गया था। बाद में इस वीडियो पर टाइम मैग्जीन ने एक लेख भी प्रकाशित किया था। यही नहीं नेशनल ज्योग्राफिक चैनल ने भी इस वीडियो पर डॉक्यूमेंट्री प्रसारित की थी।

Friday, January 21, 2011

Researchers Use Mind-Reading Technology to Prevent Terrorist Attacks


Students and researchers from the Northwestern University in Illinois decided to carry out an experiment that would demonstrate that it is possible to prevent terrorist attacks by reading the people's minds.
The students planned the attack and the researchers were able to obtain information on the attack by monitoring their P300 brain waves, which represents brief electrical patterns in the cortex. These waves take place when meaningful data is presented to a person with "guilty knowledge." In the experiment the data was a mock planned attacked. However, scientists consider that their technology will be able to help prevent a real attack.
During the study, researchers attached to the scalps of the students electrodesand showed them on a computer monitor the names of cities such as Boston, Houston, New York, Chicago and Phoenix. The cities were presented randomly. Researchers found that in nearly every case, the name of the location that the students planned to attack evoked the largest P300 responses.
According to J. Peter Rosenfeld, professor of psychology in Northwestern's Weinberg College of Arts and Sciences, the team of scientists was able to spot 10 out of 12 terrorists. In addition, they managed to identify 20 out of 30 crime-related details, informsGizmag.
"The test was 83 percent accurate in predicting concealed knowledge, suggesting that our complex protocol could identify future terrorist activity," he said.

रबड़ की तरह मुड़ेगा मोबाइल

मोबाइल फोन को मोड़ने की क्या आवश्यकता है लेकिन फिर भी यदि आपके पास ऐसा फोन हो जिसे आप न सिर्फ मोड़ सकते हैं बल्कि वह कागज की तरह एकदम पतला भी हो? यदि यह आपको ख्वाब लग रहा है तो अब सच हो चुका है।

अमेरिका के लास वेगास के कंज्यूमर इलेक्ट्रॉनिक शो-2011 में एक ऐसा मोबाइल पेश किया गया जो मुड़ भी सकता है। इलेक्ट्रॉनिक सामान बनाने वाली कोरिया की सैेमसंग ने इसके दो प्रोटोटाइप बनाए हैं। इसमें से एक फोन तो ऐसा है जो अर्धगोलाकार रुप में मुड़ सकता है। इसकी टच स्क्रीन 4.5 इंच और 800 बाय 480 पिक्सेल की है। यह कागज की तरह बेहद पतला है यानी सिर्फ 0.3 मिलीमीटर।

कंपनी का दावा है कि इस फ्लेक्जिबल एमोलेड स्क्रीन में पहले पेश की गई बेंडेबल स्क्रीन का रिजोल्यूशन चार गुना अधिक है। इसकी खासियत है कि यह अधिक गर्मी भी झेल सकता है।

सैमसंग एमोलेड स्क्रीन टीवी सेट्स के लिए भी इस्तेमाल करने पर काम कर रहा है। कंपनी का कहना है कि शो में इसकी सफलता के बाद मार्केट फीडबैक के आधार पर इसका कर्मिशियल उत्पादन शुरू किया जा सकता है। कीमत को लेकर अभी तक कोई घोषणा नहीं की है। अब देखते हैं यह फोन मोबाइल जगत में क्या बदलाव लाता है।

खासियत + 

कागज से भी पतला
एमोलेड स्क्रीन
टच स्क्रीन 4.5 इंच, 800 बाय 480 पिक्सेल

Wednesday, January 19, 2011

हिममानव का अस्तित्व


एक तरफ उसे सदियों से भारत में हिममानव, नेपाल में यति, अमेरिका में बिगफुट, ब्राजील में मपिंगुरे, आस्ट्रेलिया में योवेई, इंडोनेशिया में साजारंग गीगी जैसे नामों से पुकारा जाता है, और दूसरी तरफ उसके अस्तित्व पर ही प्रश्न चिह्न लगाया जाता है। जी हाँ, हम बात कर रहे हैं कि बर्फीले पहाड़ों पर देखे और पहचाने गए विशालकाय वानर शरीर वाले हिममानव की। इनके अस्तित्व को लेकर जारी बहस के बीच वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी हकीकत का पता लगाने के प्रयास किए जा रहे हैं। जुटाए गए सबूतों की फोरेंसिक जाँच की जा रही है।




इस बीच जाने-अनजाने यह अनजान ‘प्रजाति’ आज मशहूर हो गई है। इन्हें किताबों, फिल्मों, बच्चों की कामिक्स में तो स्थान मिल ही गया है, इस पर वीडियो गेम्स भी बनाए जा रहे हैं। 

पहली बार चर्चा में - हिममानव या यति का सबसे पहला उल्लेख एक पर्वतारोही बी.एच. होजसन ने किया था। अपने हिमालय अभियान के अनुभवों में उन्होंने लिखा था कि सन् 1832 में उत्तरी नेपाल के पहाड़ी इलाके में उनके गाइड ने लंबे बालों वाले एक विशालकाय प्राणी को देखने की बात कही। होजसन ने साफ लिखा है कि उन्होंने कुछ नहीं देखा, लेकिन इस घटना का जिक्र करते हुए उन्होंने अनजान प्राणी को यति नाम दिया। इसके बाद यति के देखे जाने और पदचिह्नों की पहचान किए जाने का लंबा इतिहास रहा है। कई पर्वतारोहियों ने अपनी किताबों में इसका उल्लेख किया है। हिमालय क्षेत्र ही नहीं, दुनिया के बाकी हिस्सों से भी ऐसी खबरें आती रहीं। हालांकि कोई भी अपनी बात साबित करने के लिए पुख्ता सबूत नहीं दे सका है। 

कैसा है हिममानव? : सन् 1925 में पेशेवर फोटोग्राफर तथा रायल जिओग्राफिकल सोसायटी के सदस्य एम.ए. टोमबाजी ने लिखा कि उन्होंने जेमू ग्लेशियर (कंगचनजंघा पर्वत माला) के पास 15,000 फुट की ऊँचाई पर बालों से ढ़का एक विशालकाय प्राणी देखा है। टोमबाजी ने स्पष्ट रूप लिखा है कि उन्होंने उसे लगभग 200 मीटर दूरी से देखा। वे एक मिनट तक उसे निहारते रहे। उसकी शारीरिक बनावट पूरी तरह से इंसानी थी, लेकिन शरीर पर बहुत अधिक मात्रा में बाल थे। उसके तन पर कपड़े जैसी कोई चीज नहीं थी। 

दिसंबर 2007 में अमेरिका के एक टीवी शो प्रस्तुतकर्ता जोशुआ गेट्स और उनकी टीम ने भी यति के स्पष्ट पदचिह्न देखने का दावा किया। उन्होंने बताया कि प्रत्येक पदचिह्न की लंबाई 33 से.मी. थी।

बालों की जाँच- 19 मार्च 1954 को अंग्रेजी अखबार ‘डेली मेल’ में एक लेख प्रकाशित हुआ, जिसमें इस मसले पर वैज्ञानिक नजरिए से प्रकाश डाला गया था। असल में वहाँ के प्रोफेसर फ्रेडरिक वुड जोन्स ने यति के बालों के माइक्रोफोटोग्राफ का परीक्षण किया था। उनकी तुलना भालू और दूसरे पहाड़ी जानवरों के बालों से की गई, लेकिन इस निष्कर्ष पर नहीं पहुँचा जा सका कि आखिर ये बाल किसके हैं।
सन् 1957 में यति के मल की जाँच भी गई, लेकिन यह साफ नहीं हो सका कि अगर यह अवशिष्ट पदार्थ यति का नहीं है, तो किस जंतु का है? हाल ही में बीबीसी ने यति के बाल एकत्रित किए गए जाने और जाँच के लिए भेजे जाने की खबर प्रकाशित की है। इस रिपोर्ट में भी पता नहीं चल पाया है कि ये बाल किस पहाड़ी प्राणी के हैं। अब डीएनए विश्लषण किया जा रहा है।

खोपड़ी मिली! सन् 1960 में एवरेस्ट के विजेता सर एडमंड हिलेरी को कथित तौर पर हिमालय में यति की खोपड़ी मिली। उन्होंने इसे जाँच के लिए पश्चिमी देशों में भेजा। उस समय यह बताया गया था कि खोपड़ी बर्फीले पहाड़ों पर पाए जाने वाले बकरी जैसे किसी जानवर की है। वैसे बड़ी तादाद में लोगों ने इस रिपोर्ट पर विश्वास नहीं किया। 

हिममानव की चीख- सन् 1970 में एक पर्वतारोहण अभियान पर हिमालय पर ब्रिटिश पर्वतारोही डान व्हिलान्स ने दावा किया कि उन्होंने यति के चिल्लाने की आवाज सुनी है। डान के मुताबिक, उन्होंने कुछ आवाजें सुनीं, तो उनके शेरपा गाइड ने बताया कि यति चिल्ला रहा है।
सांस्कृतिक प्रतीक यतिः नेपाल और तिब्बत में हिममानव को यति कहा जाता है। यति आज सांस्कृतिक प्रतीक बन गया है। अबूझ पहेली बनी सृष्टि की इस रचना पर कई किताबें लिखी गई हैं, वीडियो तथा फिल्में बनाई जा चुकी हैं। 

इस आमतौर पर एक घृणित शोमैन के रूप में दिखाया गया है। ‘द एबोमिनेबल शोमैन’, ‘डाक्टर हू’, ‘बग्स बनी कार्टून’, ‘देट्स शो घोस्ट’, ‘द माइटी बुश’, ‘काल आफ ए यति’ जैसे टीवी शो में यति को एक शैतान के रूप दिखाया गया है। बालीवुड फिल्म ‘अजूबा कुदरत का’ में भी यति को दिखाया गया है। यह ऐसी लड़की की कहानी है, जो यति को दिल दे बैठती है। विदेशों में भी कई फिल्में बन चुकी हैं। 


कुछ तो है- बहरहाल, अभी तक दर्जनों लोगों ने यति देखने के दावे किए हैं, लेकिन कोई भी पुख्ता सबूत पेश नहीं कर पाया है और विज्ञान ऐसे किसी सबूत के बिना यति के अस्तित्व पर मुहर नहीं लगा सकता है। इसको लेकर वैज्ञानिकों में भी मतभेद है। कुछ कह रहे हैं कि प्रमाण इतने नहीं हैं कि यति का होना घोषित कर दिया जाए। फिर 
भी विज्ञान के जानकारों का एक वर्ग ऐसा है, जो कह रहा है कि कुछ तो है। 

अमेरिका के पोकाटेलो में इदाहो विश्वविद्यालय में प्रोफेसर जेफ मेलड्रम का कहना है कि मैंने इस संबंध में मौजूदा सभी वैज्ञानिक प्रमाणों का अध्ययन किया है और इस नतीजे पर पहुँचा हूँ कि इस सृष्टि में कोई प्राणी ऐसा जरूर है, जिसकी पहचान होना बाकी है।

रामायण से जुड़ी कहानी- नेपाल में यति को राक्षस भी कहा जाता है। कुछ गंथों के मुताबिक कुछ नेपाली और हिमालय की तराई के इलाकों में राम और सीता के बारे में प्रचलित लोक कविताओं और गीतों में भी कई जगह यति का उल्लेख किया गया है। 

यति...आम बात है- इसी तरह यति या हिममानव और मानव की मुलाकातों के कई किस्से हिमालय पर्वतों के अनुभवी बूढ़े सुनाया करते हैं। भूटान में कुछ बुजुर्ग ऐसे हैं, जिनके लिए हिममानव कोई आश्चर्य की बात नहीं है। उनके मुताबित, उनके जमाने में हिममानव दिखना सामान्य बात थी। 77 साल के सोनम दोरजी का कहना है कि यति का इतिहास सदियों पुराना है और वे आज भी मौजूद हैं। 

बहरहाल यह तो तय है कि आज तकनीक जितनी भी विकसित हो जाए पर प्रकृति के कुछ रहस्यों से पर्दा उठना अभी बाकी है।


ये था वनडे क्रिकेट का सबसे महान कैच


नई दिल्ली. किसी भी मैच को जीतने के लिए सभी कैच लपकने जरूरी होते हैं। क्रिकेट में ये तथ्य बहुत प्रचलित है। 1983 के विश्वकप जिताने में एक कैच की अहम भूमिका रही थी। कप्तान कपिल देव ने यदि उसे नहीं लपका होता तो शायद भारत इस खिताब से महरूम रह जाता।

कपिल देव एंड कंपनी इंग्लैंड में हुए विश्वकप में एक अंडरडॉग की तरह उतरी थी। किसी को उम्मीद नहीं थी कि भारत सेमीफाइनल दौर तक भी पहुंच पाएगा। सभी टीमों को रौंदते हुए टीम इंडिया फाइनल में पहुंच गई। खिताबी मुकाबले में उनका सामना दिग्गज वेस्ट इंडीज से था।

विंडीज के गेंदबाजों ने भारत को महज 183 रन पर समेटकर टीम इंडिया के चांस और कम कर दिए। भारत की जीत की राह में खड़े थे वेस्ट इंडीज के विवियन रिचर्ड्स। रिचर्ड्स का विकेट भारतीय टीम के लिए अहम था। रिचर्ड्स ने महज 28 गेंदों में 7 चौकों की मदद से 33 रन ठोक दिए थे। ऐसा लग रहा था कि विंडीज 184 रन के लक्ष्य को आसानी से हासिल कर लेगी।

कप्तान कपिल देव ने गेंद थमाई मध्यम तेज गेंदबाज मदनलाल के हाथ में। मदनलाल की एक शॉट गेंद पर विवियन रिचर्ड्स ने पुल शॉट खेला। लग रहा था कि गेंद बाउंड्री पार कर जाएगी, लेकि कपिल देव ने उलटे कदमों से दौड़ते हुए गेंद को लपक लिया। रिचर्ड्स 33 रन बनाकर आउट हो गए थे।

इस कैच को मैच का टर्निंग प्वाइंट भी कहा जा सकता है। कपिल ने 10-15 यार्ड्स पीछे की तरफ दौड़कर इस कैच को लपका था। इस कैच के बाद पूर्व विश्व विजेता वेस्ट इंडीज महज 140 रन पर सिमट गई थी।

दसवें विश्वकप के लिए तैयारियों में जुटी धोनी सेना को भी फील्डिंग में ऐसे ही करिश्में करने होंगे। तभी भारत विश्वकप पर फिर से कब्जा जमा पाएगा।

Tuesday, January 18, 2011

Amazing Invention – A Complete Computer in a 160mm ball

You may have seen many other inventions of this kind but what is unique in it is that when it is closed no one is able to guess that this ball contains a whole computer inside it. When you will open you will find a complete set which includes display screen, virtual keyboard and a mouse.
This is known as E-Ball which is designed by Apostol Tnokovski. He was aiming to create the smallest PC in the world when this idea comes in his mind.This ball computer has taken the computer technology to new horizons.
It is shaped like a sphere because in its designer’s opinion this is the best shape in nature and it captures everyone’s attention.
This E-Ball features a dual core processor, 250-500GB HDD, 2GB of RAM, integrated graphic card and sound card, 2 x 50W speakers, HD-DVD recorder, wireless optical mouse and laser keyboard, LAN and WLAN card, modem, Web cam and integrated LCD projector.





Also, the E-Ball PC equipped with a paper holder and the paper sheet on the holder that would act like a screen where you can enjoy everything that you could enjoy on your personal PC.









This PC will measure 160mm in diameter and it was designed for Microsoft Windows OS. For now its price and date when it is going to be available is not known.However,everybody would like to see this small spherical PC.

Thursday, January 13, 2011

ये है दुनिया की सबसे खूबसूरत कार

यूं तो आज बाजार में रॉल्स रॉयस, लैंबोर्गिनी, फरारी और बेंटली जैसी एक से बढ़कर एक कारें मौजूद हैं। ये कारें टेक्नोलॉजी और कंफर्ट के मामले में तो बेहतरीन हैं ही, लुक के मामले में भी इनके जादू से बचना मुश्किल है। लेकिन हम आपको उस कार के बारे में बता रहे हैं जिसे दुनिया की सबसे खूबसूरत कार के तौर पर जाना जाता है। यह कार है अल्फा रोमियो 8सी कंपेटीजियोन। जी हां, इसी कार को दुनिया के सबसे खूबसूरत कार के तौर पर पहचान मिली है। 

इस कार में टियरट्रॉप विंडो, आल्मंड हेटलैंप जैसे बेहतीन लुक वाले फीचर्स मौजूद हैं। इतना ही नहीं इस कार के पहियों को भी दुनिया के दस सबसे बेहतरीन पहियों की लिस्ट में जगह मिली है। इस कार में खासतौर पर बनाए गए 20 इंच के टायर्स का इस्तेमाल किया गया है। इसके रिम भी काफी बेहतरीन हैं। 

वैसे यह कार टेक्नोलॉजी के मामले में भी किसी से कम नहीं है। इसके ब्रेक्स लाजवाह हैं। तभी तो 97 किलोमीटर प्रति घंटे की तफ्तार होने के बावजूद सिर्फ 32 मीटर की दूरी पर इसे रोका जा सकता है। इस कार की ऑफिशियल टॉप स्पीड है 292 किलोमीटर प्रति घंटा। वहीं रोड एंड ट्रैक मैग्जीन के मुताबिक इसकी अधिकतम रफ्तार 306 किलोमीटर प्रति घंटे तक भी पहुंच सकती है। इस शानदार कार की कीमत करीब 1.20 करोड़ रुपए है।

जानिए किन कारों के दीवाने हैं बॉलीवुड के सितारे

भारत में कारों का क्रेज, दुनियाभर में जगजाहिर है तभी तो महंगी से महंगी कार बनाने वाली दुनियाभर की कंपनियों की नजरें भारत पर टिकी रहती हैं। और बात अगर बॉलीवुड के सितारों की पसंदीदा कारों की हो, तो इनका अंदाज जरा हट के होता है। तो चलिए हम आपको बताते हैं कुछ फिल्मी सितारों की पसंदीदा कारों के बारे में।


सबसे पहले बात करते हैं तेज रफ्तार कारों के दीवाने अर्जुन रामपाल की। जनाब के पास फॉमूला वन टेस्टेड, मर्सिडीज मैकलॉरेन कार है। और हाल ही में इन्होंने अपनी इस कार की तस्वीर अपने ट्वीटर एकाउंड पर भी पोस्ट की है।


दबंग सलमान खान भी कारों के बड़े शौकीन हैं। और बीएमडब्ल्यू कारें तो इन्हे कुछ ज्यादा ही पसंद हैं। तभी तो इनके पास चार बीएमडब्ल्यू कारें हैं। हालांकि इसके अलावा उनके पास लेक्सस, लैंड क्रूजर और मर्सिडीज कारें भी मौजूद हैं।


बॉलीवुड के छोटे नवाब सैफ अली खान को भी कारों का काफी शौक है। उनके पास रेंज रोवर, लैंड क्रूजर, मर्सिडीज, लेक्सस, मस्तांग, और बीएमडब्ल्यू 7 सीरीज जैसी कारें मौजूद हैं।


वहीं बॉलीवुड के बादशाह शाहरूख खान के पास बीएमडब्ल्यू 7 सीरीज, रॉल्स रॉयस, बीएमडब्ल्यू कनवर्टेबल, ऑडी ए6 और लैंड क्रूजर जैसी कारें हैं। हालांकि इनकी फेवरेट कार बुगाती है। खबर है कि ये अपनी अगली फिल्म ‘रा वन’ में इस कार को चलाते हुए भी नजर आएंगे।


वैसे कारों के क्रेज के मामले में बॉलीवुड की हसीनाएं भी पीछे नहीं हैं। अब विपाशा बसु को ही ले लीजिए। इनकी पसंदीदा कारों में रॉल्स रॉयस फैंटम, जगुआर एक्स के आर 100 और बेंटली अज्यूर जैसे नाम शामिल हैं। हालांकि लग्जरी कारों के नाम पर फिलहाल इनके पास पोर्शे कायने ही है।


कहा जाता है कि बॉलीवुड में कारों के मामले में सबसे शौकीन हैं बिग बी यानी अमिताभ बच्चन। इनके पास कुल 25 कारें हैं। जिनमें लैंबोर्गिनी, पोर्शे, बेंटली, रॉल्स रॉयस, होंडा, टोयोटा और हुंदै जैसे नाम शामिल हैं।

Wednesday, January 05, 2011

इस मोबाइल फोन की कीमत है सिर्फ 71 रु



अगर हम आपसे कहें की दुनिया में एक ऐसा मोबइल फोन भी है जिसकी कीमत मात्र 71 रुपए है तो आपको बिल्कुल भी यकीन नहीं आएगा। लेकिन ये सौ फीसदी सच है। कारफोन वेयरहाउस नाम की कंपनी चंद दिनों के भीतर ही बाजार में मात्र 99 पेंस यानी करीब 71 रुपए कीमत वाला मोबाइल लांच करने जा रही है।
उम्मीद की जा रही है कि दुनिया के इस सबसे सस्ते मोबाइल फोन की बिक्री अगले 2-3 दिनों में शुरू हो सकती है। इस मोबाइल फोन को तैयार किया है फ्रांस की मोबाइल हैंडसेट बनाने वाली कंपनी अल्काटेल ने। खास बात ये है कि यह मोबाइल फोन कई रंगों में उपलब्ध होगी। कंपनी का कहना है कि ये फोन ग्राहकों के लिए क्रिसमस का सबसे खास तोहफा होगा।
कंपनी की तरफ से यह भी बताया गया है कि ये मोबाइल उनके लिए काफी बेहतर ऑप्शन होगा जिनका मोबाइल फोन बार-बार खो जाता है या फिर जो महंगे मोबाइल हैंडसेट नहीं खरीद सकते हैं।
दुनिया में अबतक सबसे सस्ता मोबाइल बनाने का खिताब वोडाफोन कंपनी के नाम है जिसने इसी साल की शुरूआत में 700 रुपए कीमत वाला मोबाइल हैंडसेट बाजार में उतारा था।
 
 
 
हालांकि कई चाइनिज कंपनियां अभी भी बाजार में 300-500 रुपए के प्राइस रेंज में अपने मोबाइल फोन बेच रही हैं। लेकिन इनकी बिक्री ग्रे मार्केट तक ही सीमित है। यानी इन पर किसी तरह की वारंटी नहीं दी जाती है। उधर मोबाइल फोन बनाने वाली जानी मानी कंपनी नोकिया ने भी 500 रुपए की कीमत वाले मोबाइल फोन को बाजार में लांच करने का ऐलान किया, हालांकि इसे कब तक लांच किया जाएगा इस बारे कंपनी ने कुछ नहीं बताया है। लेकिन अब बाजार में 71 रुपए के मोबाइल फोन के लांच होने के बाद सभी कंपनियों पर सस्ते से सस्ता हैंडसेट लांच करने का दबाव बढ़ जाएगा।

ये है दुनिया का सबसे अनोखा मोबाइल फोन



दुनिया की जानी मानी मोबाइल निर्माता कंपनी सैमसंग इलेक्ट्रॉनिक्स ने दुनिया का सबसे अनोखा मोबाइल फोन पेश किया है। सैमसंग एक्वा नाम के इस बेहतरीन मोबाइल हैंडसेट की सबसे बड़ी खासियत यह है कि ये पूरी तरह ट्रांसपैरेंट यानी की पारदर्शी है। कंपनी का कहना है कि इस फोन का लुक पानी से बनाई गए चित्र से ‘इंस्पायर्ड’ है। यानी अगर आप टेबल पर बिखरे पानी से मोबाइल फोन का चित्र बनाए तो जैसी छवि आपको देखेगी, वैसा ही दिखता है सैमसंग एक्वा।
इस फोन में और भी कई बेहतरीन फीचर्स हैं। यह एक टचस्क्रीन फोन है। साथ ही इसमें इको फ्रेंडली लिक्विड बैट्री का इस्तेमाल किया है। इस फोन की एक और खास खूबी यह है कि ये काफी स्लिम हैंडसेट है।
हालांकि अभी इस फोन को कंपनी ने कॉसेप्ट फोन के तौर पर पेश किया है। लेकिन माना जा रहा है कि कंपनी जल्दी ही इसका कमर्शियल प्रोडक्शन शुरू कर सकती है। जिसके बाद यह नायाब फोन बाजार में ग्राहकों के लिए उपलब्ध हो जाएगा। हालांकि कंपनी ने फिलहाल इस फोन की कीमत को लेकर किसी तरह का खुलासा नहीं किया है।